संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा आयोजित पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी की जयन्ती समारोह और अन्तयोदय कार्यक्रम की शुरूआत।
नई दिल्ली,(इंविसंके)
25सितम्बर, 2015। संस्कृति मंत्रालय,
भारत सरकार द्वारा महामानव
पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी
की जयन्ती समारोह नेहरू स्मारक
संग्रहालय एवं पुस्तकालय के
सभागार, तीन मूर्ति भवन में
आयोजित किया गया। जिसमें मुख्य
अतिथि माननीय अध्यक्षा, लोकसभा,
श्रीमती सुमित्रा महाजन जी,
सम्मानित अतिथि माननीय गृह
मंत्री, श्री राजनाथ सिंह जी
व माननीय मंत्री वित, कॉरपोरेट
मामले और सूचना एवं प्रसारण,
श्री अरुण जेटली जी थे।
जिसकी
अध्यक्षता डॉ. महेश शर्मा जी
(राज्य मंत्री, संस्कृति, पर्यटन
(स्व. प्र.) व नागरिक उड्डयन) ने
किया। कार्यक्रम की शुरुआत
श्रीमती सुमित्रा महाजन जी
ने दीप प्रज्वलित कर किया।
साथ में महामना पंडित दीनदयाल
जी के अन्तयोदय दर्शन पे आधारित
संस्कृति मंत्रालय के महत्वकांक्षी
कार्यक्रम की शुरुआत भी कीं।
जो पूरे एक वर्ष तक चलेगा।
श्री महेश शर्मा
जी कार्यक्रम की अध्यक्षता
करते हुए बोले – जिस महामना
युगद्रष्टा की जन्मशती मानाने
हमसब यहाँ एकत्रित हुए हैं।
उन्होंने ने हमारे लिए अलौकिक
कार्य किया है। जिसके लिए यह
भारतवर्ष सदैव उनका आभारी रहेगा।
यहाँ पे आये हुए मुख्य अतिथि
एवं सम्मानित अतिथि गण, संघ
से पधारे हुए श्री मदन जी एवं
अन्य माननीय, उपस्थित सभी नारी
शक्ति और मीडिया बंधुओं का
मैं स्वागत करता हूँ। मैं आभारी
हूँ, प्रधानमंत्री मोदी जी
का। जो एक ऐसे व्यकतित्व के
लिए, जिन्होंने मानव जीवन के
मूल्यों, शैक्षणिकता को सार्थक
और शाश्वत बनाया। उनके अन्तयोदय
दर्शन पे पुरे देश में अन्तयोदय
योजना को लागु करने के लिए।
जिसका उद्देश्य है कि “हर एक उस अंतिम
व्यक्ति तक विकास पहुंचे। दुसरे
अर्थों में उस हर एक अंतिम व्यक्ति
का भी विकास हो, जो अब तक बचा
रह गया है।“
आगे कहा कि यह
हमारा सौभाग्य है, संकल्प है
कि समय-समय पे, हम सब ऐसे महान
योद्धा का स्मरण कर। उनके पद
चिन्हों पे चलकर आगे को बढ़ते
रहें।
इसके बाद कार्यक्रम
में पंडित दीनदयाल जी के जीवन
पे आधारित वृतचित्र को दिखाया
गया। वृतचित्र के अंत में पंडित
जी के बारे में उद्घोषक द्वारा
सुनने को मिला। जो पंडित जी
के जीवन-यात्रा को वर्णित कर
डाला। कुछ इसप्रकार से है – “रेल की पटरी पर शुरू
हुआ ये (पंडितजी का) सार्थक जीवन,
वो रेल की पटरी पर ही समाप्त
हो गया।”
जिसके बाद श्री
अरुण जेटली जी ने कहा कि अभी
जो पंडित दीनदयाल शोध संस्थान
द्वारा बनाई हुई छोटी-सी फिल्म
दिखाई गई। मैं उसे गंभीरता
से देखते हुए समझने की कोशिश
कर रहा था कि ऐसे बहुमुखी प्रतिभावान
महामानव के अंदर कितनी उर्जा
थी और वो कितने दूरदर्शी थे।
मात्र 34-35 वर्ष की आयु में इतना
बड़ा राजनैतिक संगठन खड़ा करना
और उसकी मूल जिम्मेदारी भी
खुद के कंधे पे होना और जब सन
1968 में इस दुनिया से जब उन्हें
हमसे छीन लिया गया। तब उनकी
आयु मात्र 52 वर्ष की थी। आज के
सन्दर्भ में हम लोग देखे तो
सामाजिक और राजनैतिक जीवन का
आरम्भ कहा जायेगा। दीनदयाल
जी के फूट-प्रिंट्स हमारे समाज
में कितने प्रकार से छुट गए।
आगे, दीनदयान
जी को याद करते हुए बोले कि जब
स्वतंत्रता के बाद इस देश में
एक प्रधानमंत्री थे, जिनका
ऊँचा कद था, उनकी एक दल थी, उनका
अपना प्रचंड बोल-बाला था और
वैचारिक आधार पे पूरी दुनिया
में समयवाद का अपना बोल-बाला
भी परचम पे था। उस समय उस प्रधानमंत्री
पे बोलने से सभी कतराते थें।
तब एक ऐसे व्यक्ति ने ऐसे व्यकतित्व
और ऐसे विचारधारा के सामने
एकात्मवाद और राष्ट्रवाद से
प्रेरित होकर एक सामानांतर
विचारधारा को खड़ा किया और उसके
एक संगठन कर्ता के रूप में देश
के कई प्रान्तों में जा-जा के
लाखों कार्यकर्ताओं को जोड़ा
और उन्हें खड़ा कर प्रेरित किया।
दीनदयाल जी में संगठक का भी
गुण था, विचारक का भी गुण था,
अर्थशास्त्री का भी गुण था
और उसके साथ-साथ राजनिति और
नैतिकता को भी जोड़ना और उस प्रेरणा
के साथ सामाजिक कार्यकर्ता
को जोड़ने का भी गुण था। जब संगठन
पे संकट आई, तो नेता के तरह पार्टी
के लिए प्रत्यक्ष रूप से एकदम
से सामने आ गए थे। ये सब बातें
उनकी इच्छाशक्ति और कर्यक्षमता
से परिचय करा कर प्रेरणा देता
है। उनके अंदर अन्तयोदय की
कल्पना थी। आज, जब भारतीय सरकार
और सांस्कृतिक विभाग की तरफ
से इस कार्यक्रम का आयोजन किया
जा रहा है। जो पुरे वर्षभर चलेंगा।
उसी अन्तयोदय विचारधारा से
प्रेरित होकर माननीय प्रधानमंत्री
जी ने इस आर्थिक योजना की घोषणा
की है। देशभर में छोटे-छोटे
लघु व्यवसाय करने वाले, ऐसे
लाखों-करोड़ों रुपयों के लिए
देश की बैंकिंग वयवस्था में
से सहायता करें। ताकि, इस देश
में से जमीन से खड़े होने वाले
लाखों-करोड़ों उद्यमी, छोटे
व्यवसायी खड़े हों और वो अर्थव्यवस्था
में नीचे से उभरकर ऊपर तक सहायता
करें। श्रध्येय उपाध्याय जी
के विचारों और उनके व्यकतित्व
को प्रत्यक्ष रूप से पूरे एक
वर्ष तक इस योजना के माध्यम
से देशभर में जनता के सामने
रखने का एक बड़ा अवसर मिलेगा।
श्री राजनाथ सिंह
ने कहा कि दीनदयाल जी के राजनैतिक
और आर्थिक दर्शन दोनों का मूल-मंत्र
था अन्तयोदय। अन्तयोदय का मतलब
है – “समाज के अंतिम
श्रेणी पे, अंतिम छोर पे, बैठे
हुए अंतिम व्यक्ति का विकास।” इसी को ध्यान में रखते
हुए, हमारी सरकार आज से पूरे
एक वर्ष तक अन्तयोदय कार्यक्रम
की शुरुआत कर रही है। जिसका
लक्ष्य है की समाज के हर उस वंचित
व्यक्ति को अपने पैरों पे खड़ा
करना। जिससे वो किसी पे आधारित
ना रहकर वो आपना खुद का विकास
कर, अपने साथ-साथ समाज और समुदाय
को सबल एवं सक्षम बनाए।
मुख्य अतिथि श्रीमती
सुमित्रा महाजन ने कार्यक्रम
के अंत में धन्यवाद ज्ञापन
देते हुए कहा कि हम सब को पंडित
जी के दर्शन से प्रेरणा लेकर
आगे बढ़ाना होगा। खासकर, उनके
एकान्तवाद और अन्तयोदय दर्शन
से जिससे समाज को संतुलित रखने
की अनेकों सीख मिलती है। यहाँ
पधारे हुए आपसभी जन और मीडिया
के लोगों को मैं आभार प्रकट
करते हुए, अन्तयोदय कार्यक्रम
की सफल, सुमंगल और उज्जवल कमाना
करती हूँ।

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