उत्तराखंड। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) और काउंसिल फॉर द इंडियन स्कूल सर्टिफिकेट एग्जामिनेशन (सीआईएससीई) भले ही देशभर के हजारों स्कूलों में लाखों बच्चों का भविष्य गढ़ रहे हों। लेकिन उन स्कूलों को अब ये बोर्ड नहीं भा रहे हैं, जिन्हें शिक्षा के क्षेत्र में देश ही नहीं दुनिया में भी नजीर माना जाता है। द दून स्कूल हो या श्रीराम स्कूल या फिर वसंत वैली।
देहरादून और दिल्ली के ये प्रतिष्ठित स्कूल भारतीय बोर्ड का साथ छोड़ इंटरनेशनल जनरल सर्टिफिकेट ऑफ सेकेंडरी एजूकेशन (आईजीसीएसई) का दामन थामने की तैयारी में हैं। द दून स्कूल ने तो अभिभावकों को इस संबंध में प्राथमिक सूचना भी जारी कर दी है। द दून स्कूल समेत सभी प्रतिष्ठित स्कूलों की सीनियर कक्षाएं (11वीं और 12वीं) पहले से अंतरराष्ट्रीय बोर्ड इंटरनेशनल बेकलॉरेट फाउंडेशन से संबद्ध हैं।
लेकिन इन स्कूलों में जूनियर सेक्शन (छह से आठ) समेत नवीं और दसवीं की कक्षाएं सीआईएससीई बोर्ड से संबद्ध हैं। द दून स्कूल जूनियर सेक्शन और दसवीं तक की कक्षाओं को आईजीसीएसई से जोड़ने वाला है। माना जा रहा है कि वर्ष 2017 से यह परिवर्तन आएगा। इसी तरह श्रीराम स्कूल, वसंत वैली और माडर्न स्कूल सहित कई आधे इंटरनेशनल बोर्ड वाले स्कूल भी जूनियर सेक्शन को आईजीसीएसई से जोड़ने वाले हैं।
देहरादून और दिल्ली के ये प्रतिष्ठित स्कूल भारतीय बोर्ड का साथ छोड़ इंटरनेशनल जनरल सर्टिफिकेट ऑफ सेकेंडरी एजूकेशन (आईजीसीएसई) का दामन थामने की तैयारी में हैं। द दून स्कूल ने तो अभिभावकों को इस संबंध में प्राथमिक सूचना भी जारी कर दी है। द दून स्कूल समेत सभी प्रतिष्ठित स्कूलों की सीनियर कक्षाएं (11वीं और 12वीं) पहले से अंतरराष्ट्रीय बोर्ड इंटरनेशनल बेकलॉरेट फाउंडेशन से संबद्ध हैं।
लेकिन इन स्कूलों में जूनियर सेक्शन (छह से आठ) समेत नवीं और दसवीं की कक्षाएं सीआईएससीई बोर्ड से संबद्ध हैं। द दून स्कूल जूनियर सेक्शन और दसवीं तक की कक्षाओं को आईजीसीएसई से जोड़ने वाला है। माना जा रहा है कि वर्ष 2017 से यह परिवर्तन आएगा। इसी तरह श्रीराम स्कूल, वसंत वैली और माडर्न स्कूल सहित कई आधे इंटरनेशनल बोर्ड वाले स्कूल भी जूनियर सेक्शन को आईजीसीएसई से जोड़ने वाले हैं।

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